कुछ चुप कहना मोह घोर कही अनकही वीतराग क्या कहूँ क्या न कहूँ करो तो पुरुषार्थ एक सुबह कुछ हुआ था यूँ कुछ कहना मना है। राह में रुकना मना है। अन्यथा कहना मना है। बहुत कुछ था लिखनेको मन में फिर सोचा कुछ अलफ़ाज़ जिन्दगी के नाम लिख दूँ।

Hindi कुछ तो कहना था Poems